Unified Pension Scheme Benefits Explained; UPS बनाम NPS, 8वें वेतन आयोग का वेतन पर प्रभाव!

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केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक शर्मा जी अपने ड्रॉइंग रूम में मोबाइल कैलकुलेटर पर गणना करते हुए पाए गए। नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की घोषणा होने के तीन दिन बाद भी वे निर्णय नहीं ले पाए कि कौन सी स्कीम उनके लिए अधिक फायदेमंद रहेगी।

ups vs nps

कुछ लोग कह रहे हैं कि UPS में 20% अधिक पेंशन मिलेगी, जबकि अन्य का मानना है कि लंबी अवधि की नौकरी वालों के लिए NPS बेहतर होगा। इस उलझन में मनोज जी ने 9 महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर खोजने का निश्चय किया है। आइए, हम भी इन सवालों के जवाबों की ओर बढ़ते हैं।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की पेंशन विवरण

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के अंतर्गत पेंशन की राशि नौकरी की अवधि के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से निर्धारित की गई है:

  1. 25 साल या अधिक नौकरी: यदि कोई कर्मचारी कम से कम 25 वर्षों तक सेवा करता है, तो उसे रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। उदाहरण के लिए, अगर अंतिम 12 महीनों की बेसिक सैलरी ₹50,000 है, तो पेंशन ₹25,000 प्रति माह होगी।
  2. मिनिमम ₹10,000 पेंशन: 10 से 25 वर्षों के बीच नौकरी करने वाले कर्मचारियों को, चाहे उनकी बेसिक सैलरी कितनी भी कम हो, कम से कम ₹10,000 प्रति माह पेंशन मिलेगी। यदि कोई कर्मचारी 12 वर्षों के बाद रिटायर होता है और उसकी बेसिक सैलरी ₹20,000 से कम है, तो भी उसे ₹10,000+DR प्रति माह पेंशन मिलेगी।
  3. 60% फैमिली पेंशन: यदि किसी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को पेंशन की 60%+DR राशि फैमिली पेंशन के रूप में मिलेगी।

इन सभी प्रकार की पेंशन के साथ सरकार डियरनेस रिलीफ (DR) नामक महंगाई भत्ता भी प्रदान करेगी। इस प्रकार, UPS विभिन्न सेवा अवधि वाले कर्मचारियों के लिए विभिन्न पेंशन विकल्प प्रदान करती है।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम: पेंशन निर्धारण की प्रक्रिया

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के अंतर्गत पेंशन की गणना कैसे की जाएगी, इसकी जानकारी इस प्रकार है:

  1. पेंशन लागू होने की तारीख: UPS 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी।
  2. पूरी पेंशन की शर्तें: जिन कर्मचारियों की सेवा 25 वर्षों से अधिक होगी, उन्हें उनके अंतिम 12 महीनों की बेसिक सैलरी के औसत का 50%+DR पेंशन के रूप में मिलेगा।
  3. पेंशन कॉर्पस का विभाजन:
    • इंडिविजुअल पेंशन फंड: कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 10% इस फंड में जमा होगा, जिसमें सरकार भी समान राशि जमा करेगी।
    • गारंटी रिजर्व फंड: कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 8.5% सरकार द्वारा इस फंड में जमा किया जाएगा, जिसमें कर्मचारी की ओर से कोई योगदान नहीं होगा।

इस प्रकार, सरकार कुल मिलाकर 18.5% धनराशि पेंशन के लिए जमा करेगी। इस योजना के तहत विभिन्न सेवा अवधि वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन की राशि निर्धारित की गई है।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम में निवेश की प्रक्रिया

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के अंतर्गत पेंशन निवेश की प्रक्रिया इस प्रकार है:

  1. निवेश की शुरुआत: UPS 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी।
  2. निवेश के विकल्प: NPS में कर्मचारी अपने इंडिविजुअल पेंशन फंड को विभिन्न स्कीम्स में निवेश कर सकते हैं, जिसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से निवेश शामिल है।
  3. पेंशन फंड मैनेजर्स: ICICI, SBI, HDFC और LIC सहित 9 पेंशन फंड मैनेजर्स निवेश स्कीम्स प्रदान करते हैं।
  4. निवेश पर रिटर्न: निवेश पर लगभग 15% का लाभ हो सकता है, हालांकि यह कम भी हो सकता है।
  5. निवेश की शर्तें: UPS में पेंशन केवल तब मिलेगी जब निवेश PFRDA के नियमों के अनुसार डिफॉल्ट मोड में किया जाए।
  6. एन्यूइटी निवेश: कर्मचारी अपने तरीके से एन्यूइटी में निवेश कर सकते हैं, जिससे अधिक लाभ हो सकता है, लेकिन नुकसान होने पर सरकार केवल एक निश्चित स्तर तक ही भरपाई करेगी।
  7. पेंशन फंड से निकासी: UPS के तहत कर्मचारी अपने कुल पेंशन फंड से 60% तक की राशि निकाल सकते हैं, जिससे पेंशन राशि में कमी आएगी।

इस तरह, UPS के तहत पेंशन निवेश की विस्तृत और सुविचारित प्रक्रिया कर्मचारियों को उनकी रिटायरमेंट के लिए एक सुरक्षित और स्थिर आर्थिक भविष्य प्रदान करने का आश्वासन देती है।

UPS बनाम NPS: किसमें मिलेगी अधिक पेंशन?

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में से कौन सी योजना अधिक पेंशन प्रदान करेगी, इस पर एक विश्लेषण:

  1. अधिक पेंशन की संभावना: यदि कोई कर्मचारी ₹50,000 की बेसिक सैलरी से नौकरी शुरू करता है, तो UPS में NPS की तुलना में लगभग 19% अधिक पेंशन की संभावना है।
  2. सरकारी योगदान: UPS में सरकार पेंशन फंड में 18.5% का योगदान देगी, जबकि NPS में यह 14% ही रहेगा।
  3. लंबी नौकरी का फायदा: एन्यूइटी से 6% रिटर्न और पेंशन फंड में सालाना 8% वृद्धि मानते हुए, लंबी नौकरी के लिए UPS में पेंशन अधिक होगी।
  4. पेंशन फंड की राशि: 25 वर्ष की उम्र में नौकरी शुरू करने वाले और 35 वर्ष तक नौकरी करने वाले कर्मचारी के UPS पेंशन फंड में ₹4.26 करोड़ जमा होंगे, जिससे प्रति माह ₹2.13 लाख की पेंशन मिलेगी। NPS में यह राशि ₹3.59 करोड़ होगी, जिससे प्रति माह ₹1.79 लाख की पेंशन मिलेगी।
  5. रिटायरमेंट की उम्र: 35 वर्ष की उम्र में नौकरी शुरू करने वाले और 25 वर्ष बाद रिटायर होने वाले कर्मचारी को UPS में प्रति माह ₹84,787 की पेंशन मिलेगी, जबकि NPS में यह ₹71,400 होगी।

इस विश्लेषण से स्पष्ट है कि UPS योजना NPS की तुलना में अधिक पेंशन प्रदान कर सकती है, खासकर उन कर्मचारियों के लिए जो लंबी अवधि तक सेवा करते हैं।

पेंशन तुलना तालिका

जॉइनिंग की उम्र और पेंशन कॉर्पस तुलना
जॉइनिंग की उम्रनौकरी की अवधिआखिरी सैलरी (करोड़ में)NPS पेंशन कॉर्पस (करोड़ में)UPS पेंशन कॉर्पस (करोड़ में)NPS पेंशन (प्रति माह, लाख में)UPS पेंशन (प्रति माह, लाख में)
25 साल35 साल₹1.36₹3.59₹4.26₹1.79₹2.13
27 साल33 साल₹1.28₹3.01₹3.57₹1.50₹1.78
30 साल30 साल₹1.17₹2.29₹2.75₹1.14₹1.36
35 साल25 साल₹0.94₹1.42₹1.68₹0.71₹0.84

मान्यताएँ:

  • मासिक सैलरी ₹50,000 है, जो प्रति वर्ष 3% बढ़ रही है।
  • पेंशन फंड में सालाना 8% की वृद्धि हो रही है।
  • एन्युटी (सालाना निवेश) रिटर्न 6% है।

8वां वेतन आयोग: कर्मचारियों की सैलरी में आने वाला बदलाव

8वें वेतन आयोग के आगमन से केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी में क्या परिवर्तन होगा, इसकी एक झलक:

  1. वेतन आयोग का परिचय: हर दशक में नया वेतन आयोग आता है। वर्तमान में 7वां वेतन आयोग चल रहा है, जिसका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त होगा।
  2. नए वेतन आयोग की शुरुआत: अनुमान है कि साल 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू हो जाएगा।
  3. वेतन मैट्रिक्स का निर्धारण: नए वेतन मैट्रिक्स का निर्माण 1.92 के फिटमेंट फैक्टर के आधार पर किया जाएगा।
  4. सैलरी लेवल का उदाहरण:
    • लेवल-1: वर्तमान में ₹18,000 की बेसिक सैलरी बढ़कर ₹34,560 हो सकती है।
    • लेवल-18: कैबिनेट सचिव स्तर की अधिकतम सैलरी ₹2.5 लाख से बढ़कर लगभग ₹4.8 लाख हो सकती है।

इस प्रकार, 8वें वेतन आयोग के आने से कर्मचारियों की सैलरी में सुखद वृद्धि की संभावना है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

8वें वेतन आयोग के प्रभाव से पेंशन में वृद्धि

8वें वेतन आयोग के लागू होने पर केंद्रीय कर्मचारियों की पेंशन में होने वाली संभावित वृद्धि का विश्लेषण:

  1. न्यूनतम वेतन की संभावना: जनवरी 2026 में 8वें वेतन आयोग के लागू होने पर, कर्मचारियों का अनुमानित न्यूनतम वेतन ₹34,560 हो सकता है।
  2. पेंशन की गणना: यदि लेवल-1 के कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹34,560 हो जाती है, तो उसकी पेंशन की 50% राशि ₹17,280 होगी, जिसे पेंशन के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।
  3. प्रमोशन का प्रभाव: अधिकांश मामलों में, कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान प्रमोशन प्राप्त करते हैं, इसलिए उनकी पेंशन राशि अधिक हो सकती है।
  4. लेवल-18 की पेंशन: लेवल-18 के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी ₹4.80 लाख होने पर, पेंशन की 50% राशि ₹2.40 लाख+DR होगी।

इस प्रकार, 8वें वेतन आयोग के लागू होने से कर्मचारियों की पेंशन में सुधार होने की संभावना है, जिससे उनके रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक सुरक्षा में वृद्धि होगी।

रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि की गणना

रिटायरमेंट के पश्चात् प्राप्त होने वाली एकमुश्त राशि (Lump-Sum Amount) की गणना कैसे की जाएगी, इसकी सरल व्याख्या इस प्रकार है:

  1. एकमुश्त राशि का निर्धारण: सरकार प्रत्येक कर्मचारी को उनकी सेवा के प्रत्येक 6 महीने के अंत में उनकी बेसिक सैलरी+DA का 10% रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि के रूप में देगी। यह राशि ग्रेच्युटी के अतिरिक्त होगी।
  2. उदाहरण: यदि कोई कर्मचारी 10 साल 3 महीने तक सेवा करता है, तो उसे 10 साल की बेसिक सैलरी+DA का 10% एकमुश्त राशि के रूप में मिलेगा।
  3. मेडिकल और एरियर लाभ: मेडिकल रीइम्बर्समेंट और एरियर लाभ में कोई परिवर्तन नहीं है और ये NPS के तहत भी वैसे ही जारी रहेंगे जैसे पहले OPS में थे।
  4. ग्रेच्युटी और GPF: UPS के अंतर्गत ग्रेच्युटी और जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) के संबंध में कोई नई घोषणा नहीं की गई है, और यह माना जा रहा है कि ये लाभ NPS की तरह ही जारी रहेंगे।

इस प्रकार, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को उनकी सेवा के अनुसार एकमुश्त राशि के रूप में एक अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम में टैक्स के नियम

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के अंतर्गत पेंशन फंड से धनराशि निकालने पर लगने वाले टैक्स की जानकारी इस प्रकार है:

  1. टैक्सेशन की स्थिति: UPS के तहत टैक्स संबंधी विवरण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किए गए हैं।
  2. विशेषज्ञों की राय: जानकारों के अनुसार, पेंशन पर नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत लागू टैक्स नियम ही UPS में भी लागू होंगे।
  3. पेंशन फंड से निकासी: पेंशन फंड का 60% तक की राशि निकालने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
  4. लम-सम अमाउंट पर टैक्स: सरकार द्वारा दिए जाने वाले लम-सम अमाउंट पर लागू होने वाले टैक्स नियम अभी तक स्पष्ट नहीं किए गए हैं।

इस प्रकार, UPS के तहत पेंशन फंड से धनराशि निकालने पर टैक्स की स्थिति अभी अनिश्चित है, और इस पर आगे की घोषणाओं का इंतजार किया जा रहा है।

पुरानी पेंशन योजना की मांग: कर्मचारियों की अपेक्षाएँ

पुरानी पेंशन योजना (OPS) के बंद होने के बाद भी कर्मचारियों द्वारा इसकी मांग क्यों की जा रही है, इसका विश्लेषण:

  1. OPS का अंत: दिसंबर 2003 में OPS को समाप्त कर दिया गया और नई पेंशन योजना (NPS) लागू की गई। OPS में कर्मचारियों को अपनी पेंशन के लिए कोई धनराशि जमा नहीं करनी पड़ती थी, जबकि NPS और यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में उन्हें अपनी बेसिक सैलरी+DA का 10% जमा करना होता है।
  2. पेंशन की गारंटी: OPS में कर्मचारी को उसकी अंतिम सैलरी का 50% निश्चित पेंशन के रूप में मिलता था, जो सरकार द्वारा वहन की जाती थी।
  3. वित्तीय बोझ: OPS के कारण केंद्र और राज्य सरकारों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा था।
  4. पेंशन खर्च में वृद्धि: 1990-91 से 2020-21 तक केंद्र और राज्यों के पेंशन खर्च में क्रमशः 58 गुना और 125 गुना की वृद्धि हुई।
  5. कर्मचारियों की अपेक्षाएँ: कर्मचारी मानते हैं कि OPS में पेंशन में अधिक वृद्धि होती थी, मेडिकल सुविधाएँ बेहतर थीं, और रिटायरमेंट के बाद भी पेंशन का लाभ मिलता था।
  6. अन्य लाभ: OPS में जनरल प्रोविडेंट फंड और ₹20 लाख तक की ग्रेच्युटी का लाभ भी मिलता था।
  7. UPS में स्पष्टता की कमी: UPS में अभी तक OPS के इन लाभों को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं आए हैं, इसलिए यह निश्चित नहीं है कि OPS के ये फायदे UPS में मिलेंगे या नहीं।

इस प्रकार, कर्मचारियों द्वारा OPS की मांग का कारण उनकी वित्तीय सुरक्षा और बेहतर लाभों की अपेक्षा है।

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